Lakshmi Puja during Dhantrayodashi or Dhanteras should be performed during Pradosh Kaal which starts after sunset.
To worship Dhanteras, Choghadiya Muhurta should not be seen as they are suitable for Muhurta Yatra.
The best time for Dhanteras puja is during the Pradosh period when the stagnant lagna prevails. It is believed that if Dhanteras is worshiped during the stable ascendant, then Lakshmiji stays at home.
Therefore, this time is the best time for worshiping Dhanteras. Vrishabha Lagna is considered to be a stable lagna and during the festival of Diwali it mostly accompanies Pradosh Kaal.
Dhanteras Puja is also known as Dhantrayodashi. The day of Dhanteras is also celebrated as Dhanvantari Trayodashi or Dhanvantari Jayanti, which is the birthday of the god of Ayurveda.
On the day of Trayodashi, a lamp is lit outside the house known as Yamaraja, the god of death, to avoid untimely death of any family member.
Lakshmi Puja (Diwali Puja)
Lakshmi Puja Vrat and rituals
On the day of Diwali, wake up early in the morning and worship the ancestors of the family and the deities of the family so that the ancestors and the deities of the family are blessed.
Due to Amavasya on this day, worship Shradh for your fathers and keep fast for the whole day and eat only after Lakshmi Puja in the evening.
Lakshmi Puja Preparations
On the day of Diwali (Lakshmi Puja), decorate your homes and shops with marigold flowers and Ashoka, mango and banana leaves. Place the coconut in the urn on both sides of the main door of the house, which is considered auspicious.
For Lakshmi Puja, place a red cloth on the right side and place the idol of Shri Ganesh and Goddess Lakshmi on it. Place a white cloth on the left side of the posture and place the navagraha on it.
Make small groups of unbroken rice at nine places on white cloth and properly establish Navagraha on them. Make sixteen wheat mounds on a red cloth.
Lakshmi Puja Muhurat
Lakshmi Puja should be performed during Pradosh Kaal, which starts after sunset which is suitable for common people only during Pradosh Kaal.
On behalf of astrologer Guruji Sangamji, good luck to Dhanatrayodashi.
Pradosh Kaal Muhurat
Lakshmi Puja on Saturday, November 14, 2020
Lakshmi Puja Muhurat – 05:56 PM to 07:55 PM-Ahmedabad.
Nishita Kaal Muhurat
Lakshmi Puja Muhurat – 12:24 AM to 12:50 AM, Nov 15-Ahmedabad.
Choghadiya Puja Muhurat
Auspicious Choghadiya Muhurat for Diwali Lakshmi Puja
Night Muhurat (Shubha, Amrita, Chara) – 08:47 PM to 01:45 AM, Nov 15
Early Morning Muhurat (Labha) – 05:04 AM to 06:44 AM, Nov 15
Diwali Chopda Puja
In Gujarat, Diwali Lakshmi Puja is known as Chopra Puja.
Worshiping Bhagwati Lakshmi, Mother Sharda and Shri Ganesha on Diwali brings blessings, so that the coming year brings happiness, prosperity, and success.
Therefore, on the day of Diwali, there is a trend of worship of new ledger accounts.
On behalf of astrologer Guruji Sangamji, wish you a happy Diwali.
धनतेरस पूजा मुहूर्त – 05:56 पी एम से 05:59 पी एम, अहमदाबाद.
धनतेरस पूजा
धनत्रयोदशी या धनतेरस के दौरान लक्ष्मी पूजा को प्रदोष काल के दौरान किया जाना चाहिए जो कि सूर्यास्त के बाद प्रारम्भ होता है.
धनतेरस पूजा करने के लिए चौघड़िया मुहूर्त नही देखना चाहीए क्योंकि वे मुहूर्त यात्रा के लिए उपयुक्त हैं। धनतेरस पूजा के लिए सबसे अच्छा समय प्रदोष काल के दौरान होता है जब स्थिर लग्न प्रचलित होती है।
ऐसा माना जाता है कि यदि स्थिर लग्न के दौरान धनतेरस की पूजा की जाती है, तो लक्ष्मीजी घर पर रहती हैं। इसलिए यह समय धनतेरस पूजन के लिए सबसे अच्छा समय है।
वृषभ लग्न को स्थिर लग्न माना जाता है और दीवाली के त्योहार के दौरान यह अधिकतर प्रदोष काल के साथ होता है।
धनतेरस पूजा को धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। धनतेरस का दिन धन्वंतरी त्रयोदशी या धन्वंतरी जयंती के रूप में भी मनाया जाता है, जो आयुर्वेद के देवता का जन्मदिन है।
त्रयोदशी तिथि के दिन परिवार के किसी भी सदस्य की असामयिक मृत्यु से बचने के लिए घर के बाहर एक दीपक जलाया जाता है जिसे मृत्यु के देवता यमराज के नाम से जाना जाता।
लक्ष्मी पूजा( दीवाली पूजा)
लक्ष्मी पूजा व्रत और अनुष्ठान
दीवाली के दिन, सुबह जल्दी उठें और परिवार के पूर्वजों और कुल के देवी-देवताओं की पूजा करें ताकि पितरों और कुल के देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिले।
इस दिन अमावस्या होने के कारण, अपने पितरों के लिए भी श्राद्ध पूजन करें और पूरे दिन उपवास रखें तथा शाम को लक्ष्मी पूजा के बाद ही भोजन करें।
लक्ष्मी पूजा की तैयारी
दिवाली(लक्ष्मी पूजा) के दिन, अपने घरों और दुकानों को गेंदे के फूल और अशोक, आम और केले के पत्तों से सजाएँ। नारियल को कलश में रखकर घर के मुख्य दरवाजे के दोनों ओर रखें जो शुभ माना जाता है।
लक्ष्मी पूजा के लिए, दाईं ओर एक लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर श्री गणेश और देवी लक्ष्मी की मूर्ति को रखें। आसन के बाईं ओर एक सफेद कपड़ा बिछाएं और उस पर नवग्रह रखें।
सफेद कपड़े पर नौ स्थानों पर अखंडित चावल के छोटे-छोटे समूह बनाएं और उन पर ठीक से नवग्रह स्थापित करें। लाल कपड़े पर गेहूं के सोलह टीले बनाएं।
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल के दौरान की जानी चाहिए, जो सूर्यास्त के बाद शुरू होती है जो कि केवल प्रदोष काल के दौरान आम लोगों के लिए उपयुक्त है।
प्रदोष काल मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा शनिवार, नवम्बर 14, 2020 पर
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – 05:56 पी एम से 07:55 पी एम
प्रदोष काल – 05:55 पी एम से 08:31 पी एम
वृषभ काल – 05:56 पी एम से 07:55 पी एम
निशिता काल मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – 12:24 ए एम से 12:50 ए एम, नवम्बर 15
निशिता काल – 11:58 पी एम से 12:50 ए एम, नवम्बर 15
चौघड़िया पूजा मुहूर्त
दीवाली लक्ष्मी पूजा के लिये शुभ चौघड़िया मुहूर्त
अपराह्न मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) – 02:17 पी एम से 04:33 पी एम
सायाह्न मुहूर्त (लाभ) – 05:55 पी एम से 07:33 पी एम
रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) – 09:10 पी एम से 02:02 ए एम, नवम्बर 15
उषाकाल मुहूर्त (लाभ) – 05:16 ए एम से 06:53 ए एम, नवम्बर 15
दीवाली चोपड़ा पूजा मुहूर्त
चोपड़ा पूजा शनिवार, नवम्बर 14, 2020 को
दीवाली चोपड़ा पूजा के लिए शुभ चौघड़िया मुहूर्त
अपराह्न मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) – 02:17 पी एम से 04:33 पी एम
संध्या मुहूर्त (लाभ) – 05:55 पी एम से 07:33 पी एम
रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) – 09:10 पी एम से 02:02 ए एम, नवम्बर 15
उषाकाल मुहूर्त (लाभ) – 05:16 ए एम से 06:53 ए एम, नवम्बर 15
दीवाली चोपड़ा पूजा
गुजरात में, दिवाली लक्ष्मी पूजा को चोपड़ा पूजा के रूप में जाना जाता है।
दिवाली के दिन भगवती लक्ष्मी, मां शारदा और श्री गणेश जी की पूजा करने से आशीर्वाद प्राप्त होता है, ताकि आने वाला वर्ष सुख, समृद्धि और सफलता लाए। इसलिए, दिवाली के दिन नए बही-खातों का पूजा का प्रचलन है।
ज्योतिषी गुरुजी संगमजी की ओर से, आपको दीवाली की शुभकामनाएँ।
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